
79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परंपरा निभाते हुए लाल किले से तिरंगा फहराया, देश को संबोधित किया, तब देश के दो बड़े विपक्षी चेहरे – राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे – वहां नदारद थे। और यह मुद्दा अब राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है।
कहां गए विपक्ष के नेता? कांग्रेस बोली: बारिश में भीगा देशप्रेम!
राहुल गांधी और खड़गे भले ही लाल किले पर नहीं दिखे, लेकिन दिल्ली में ही कांग्रेस मुख्यालय में झंडारोहण कर रहे थे। और जैसे ही झंडा फहराया, बारिश शुरू हो गई… लेकिन नेता डिगे नहीं!
भीगते हुए गाया गया राष्ट्रगान, और कांग्रेस ने इसे बताया – “राष्ट्रप्रेम की मिसाल”।
बीजेपी ने तंज कसा – ‘बारिश में देशभक्ति नहीं, शर्म है ये!’
बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया X पर लिखा:
“राहुल गांधी मोदी विरोध में अब देश और सेना का भी विरोध कर रहे हैं!”
“शर्मनाक, क्या यही विपक्ष का राष्ट्रगौरव है?”
BJP ने सवाल पूछा – लाल किले पर क्यों नहीं आए राहुल जी? क्या अब राष्ट्रीय पर्व भी पार्टी लाइन से तय होगा?

खामोशी में भीग गई वजह: लाल किले से दूरी क्यों?
अब तक राहुल गांधी या खड़गे की ओर से कोई स्पष्ट वजह सामने नहीं आई कि आखिर वो लाल किले पर क्यों नहीं पहुंचे?
क्या यह चुपचाप राजनीतिक संदेश था या फिर कुछ और?
या शायद ये विपक्षी ‘रेन प्लान’ था —
“अगर बारिश हो, तो राजघाट छोड़ो, रेड फोर्ट भूलो, और HQ में भीग जाओ!”
स्वतंत्रता दिवस राजनीति से ऊपर होता है — या शायद अब नहीं?
एक तरफ मोदी जी लाल किले से देश को संबोधित कर रहे थे, तो दूसरी तरफ राहुल गांधी HQ में “Rain Anthem” गा रहे थे। राजनीति की बारिश में भीगते-भीगते अब देश ये पूछ रहा है — “राष्ट्र पर्व मनाना जरूरी है, लेकिन… कहां मनाना ज़्यादा जरूरी है?”
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